आमजनता के लिए अधिक प्रासंगिक सिद्ध होंगे नए कानून : जिला एवं सत्र न्यायाधीश ध्रुव* नवीन न्याय संहिता के प्रावधानों से रू-ब-रू होने परिचर्चा आयोजित
उत्तर बस्तर कांकेर, 28 जून 2024/ भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 आगामी एक जुलाई से प्रभावी होगा। उक्त अधिनियमों एवं उनमें निहित धाराओं की जानकारी आमजनता को सुलभ कराने के उद्देश्य से आज जिला पंचायत में परिचर्चा का आयोजन किया गया। ‘दण्ड संहिता से न्याय संहिता की ओर’ विषय आधारित परिचर्चा में मुख्य अतिथि के तौर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनंद कुमार ध्रुव, कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी नीलेश कुमार क्षीरसागर व पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एलेसेला ने हिस्सा लेकर नवीन अधिनियमों एवं प्रावधानों के संबंध में अपने विचार प्रकट किए।
आज दोपहर को आयोजित परिचर्चा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ध्रुव ने भारतीय दण्ड संहिता के इतिहास प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्ष 1860 से अब तक अंग्रेजों द्वारा बनाई गई दण्ड संहिता लागू थी। अब 01 जुलाई से आईपीसी के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 लागू होने जा रहे हैं। नवीन कानूनों में मानव कल्याण को प्राथमिकता दी गई है जो कि आमजनता को उचित न्याय दिलाने में अधिक प्रासंगिक सिद्ध होगा। उन्होंने आगे बताया कि नवीन न्याय संहिता में दण्ड नहीं बल्कि न्याय दिलाने की बात कही गई है। वर्तमान परिदृश्य में जो धाराएं अनुपयोगी हो गई हैं, उसे विलोपित किया गया है और आवश्यकतानुसार संशोधित कर नए प्रावधानों को जोड़ा गया है। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में डिजिटल साक्ष्य को भी मान्यता दी गई है।
परिचर्चा में कलेक्टर क्षीरसागर ने कहा कि आज सोशल मीडिया के जमाने में कई बदलाव आ चुके हैं और न्याय व्यवस्था पुरानी दण्ड संहिता पर आधारित है। समय की जरूरत के अनुसार आज भारतीय दण्ड संहिता में संशोधन करते हुए नवीन न्याय संहिता लागू की जा रही है, जिसमें साक्ष्य, महिला सुरक्षा को लेकर कई जरूरी बदलाव किए गए हैं। इसके लागू होने से नागरिकों को बेहतर न्याय मिलेगा। पुलिस अधीक्षक एलेसेला ने परिचर्चा में नवीन कानूनों के प्रावधानों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि नवीन न्याय संहिता के लागू होने से न्याय व्यवस्था को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने बताया कि भारतीय दंड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 को अधिसूचित किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता की 511 धाराओं के स्थान पर अब 358 धाराएं हैं तथा 23 अध्याय के स्थान पर 20 अध्याय हैं।
इसके पहले, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती मनीषा ठाकुर ने नवीन न्याय संहिता के प्रमुख उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए औपनिवेशिक कानूनों में बदलाव, नागरिक केन्द्रित एवं कल्याणकारी अवधारणा, महिला सुरक्षा एवं न्याय, आतंकवाद, संगठित अपराध एवं भारत की सम्प्रभुता, एकता एवं अखण्डता के विरूद्ध अपराध, पीड़ित केन्द्रित कानून प्रावधान, अनुसंधान में वैज्ञानिक तकनीक, डिजिटल एवं इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के प्रावधान और न्यायालयीन प्रक्रिया से संबंधित प्रावधान के बारे में सविस्तार जानकारी दी। इसके अलावा परिचर्चा में भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में 484 धाराओं के स्थान पर 531 धाराएं एवं 37 अध्याय के स्थान पर 39 अध्याय शामिल करने, ई-एफआईआर दर्ज करने, 07 वर्ष या इससे अधिक के दण्डनीय अपराध में साक्ष्य संग्रहण हेतु न्याय दल (एफएसएल टीम) की सहायता लेने संबंधी विस्तृत जानकारी इस दौरान दी गई। साथ ही भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1972 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को अधिसूचित किए जाने के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि इसमें 167 धाराओं के स्थान पर 170 धाराएं हैं एवं 11 अध्याय के स्थान पर 12 अध्याय है। परिचर्चा में उपस्थित पार्षदगण, सरपंच, पंचायत सचिव एवं कोटवारों को नवीन न्याय संहिता के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। इस अवसर पर विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव भास्कर मिश्रा, एसडीएम अरूण वर्मा सहित राजस्व एवं पुलिस विभाग के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।